वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
हाथ में कलम रहे नेट खुशफहम रहे
तू कभी रुके नहीं सत्तू कभी मुके नहीं
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
सामने पहाड़ हो शेरनी दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
ब्लॉगभूमि के लिये, दही दिमाग के लिये
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
अन्न गृह में भरा वारि नल में भरा
बरतन खुद निकाल लो खाना खुद बना लो
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
8 टिप्पणियाँ:
वाह वाह! वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
वाह वाह--बढिया रिपेयरिंग सेंटर खोला है भाई।
पता ही नहीं था।-- इस हफ़्ते इसकी चर्चा प्रिंट मीडिया में होगी।
आभार
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !
-बस सर, इन्हीं पंक्तियों का अनुसरण कर रहे हैं.
और खोल के लिखे होते ...
:बहुत बढ़िया!
bahut hi umdha
http://liberalflorence.blogspot.com/
Wah!-wah baut khoob. bahut pasand aaya.
poonam
badiya parody.....sadhuwad..
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!