मंगलवार, 28 सितंबर 2010

वीर तुम ...धीर तुम

वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !

हाथ में कलम रहे नेट खुशफहम रहे
तू कभी रुके नहीं सत्तू कभी मुके नहीं
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !

सामने पहाड़ हो शेरनी दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !

प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
ब्लॉगभूमि के लिये, दही दिमाग के लिये
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !

अन्न गृह में भरा वारि नल में भरा
बरतन खुद निकाल लो खाना खुद बना लो
वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !


8 टिप्पणियाँ:

Smart Indian ने कहा…

वाह वाह! वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

वाह वाह--बढिया रिपेयरिंग सेंटर खोला है भाई।
पता ही नहीं था।-- इस हफ़्ते इसकी चर्चा प्रिंट मीडिया में होगी।

आभार

Udan Tashtari ने कहा…

वीर तुम लिखे चलो ! धीर तुम रचे चलो !


-बस सर, इन्हीं पंक्तियों का अनुसरण कर रहे हैं.

Arvind Mishra ने कहा…

और खोल के लिखे होते ...

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

:बहुत बढ़िया!

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

bahut hi umdha

http://liberalflorence.blogspot.com/

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

Wah!-wah baut khoob. bahut pasand aaya.
poonam

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

badiya parody.....sadhuwad..

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