मंगलवार, 12 जून 2012

चक्कू रामपुरी "अहिंसक" के सर्वश्रेष्ठ खस्ता दोहे

(चित्र व दोहे: अनुराग शर्मा)


तुकमारिया खायें, खस्ता शेर बनायें, पुरस्कार पायें
बे बाँटैं तौ रेवड़ी, हम कर दें तौ खून
बे तौ मालामाल हैं, हम तरसैं दो जून

आइस पाइस टीप के, बने टिप्पणी वीर
दाने पाँच न बो सकैं, फिर भी खाबैं खीर

छुरी बगल मैं दाब के, झूठा कर गुनगान
ईटा सर पे मारता, मुख पर है मुस्कान

सच्चा सेवक बन रहा, रहा झूठ की खान
रेवड़ी बोतल बाँट के,  बन जइहै परधान

भालो उसको देख कै, सरक लये हैं लोग
भोले पर जा बरसते, है कैसो जा संजोग

बिल्ली उसको जानिये, मन में जो मुस्काय
छिप-छिप पंजा मार के, माल मलाई खाय

ऊँचा भया तौ का भया, ज्यूँ टावर मोबाइल
सिगनल इतना वीक है, कछहुँ नहीं सुनाइल