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एक रहेन ईर, एक रहेन वीर, एक रहेन फत्ते।
ईर कहेन वीर से - चलो परेमपत्तर लिखा जाई
वीर कहेन फत्ते से - चलो परेमपत्तर लिखा जाई
ईर लिखे एक ठो
वीर लिखे दू ठो
फत्ते लिखे पूरी रमयनी।
ईर कहेन वीर से - चलो परेमपत्तर दिया जाई
वीर कहेन फत्ते से - चलो परेमपत्तर दिया जाई
ईर दिएन अपनी वाली को
वीर भी दिएन अपनी वाली को
फत्ते की कोई थी ही नहीं!
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8 टिप्पणियाँ:
भैया ये तो सीरियस हो गया :)
किसी की बदहाली का मजाक हो गया.
ये फत्ते के साथ् अन्याय है !
भेरी बैड ...:):)
... फत्ते पुट दिहिन ब्लॉग पर!
मन्ने लागा फत्ते दि दिहिन इर अते वीरे दी परेमिका कू
achhi kahani bani par the end dard bhara.. :)
do sher खस्ता शेर - खुदा खैर blog ko samarpit..( net se )
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एक शेर सुनाती हूँ बड़े ध्यान से सुनो
मुझे शेर नहीं आता किसी और से सुनो ||..:))) .
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वो शेर सुनाने लगे तो मै जाग गया॥
शेर इतना खतरनाक था कि मै भाग गया॥:)
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.good wishes
राव साहब,
वो उपन्यास कब पूरा होगा, प्रेम पत्र वाला?
इस पोस्ट से वैसे कोई संबंध नहीं है इस सवाल का, कहीं समझो कि...।
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!