शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

ईर, वीर, फत्ते के परेमपत्तर

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एक रहेन ईर, एक रहेन वीर, एक रहेन फत्ते।

ईर कहेन वीर से - चलो परेमपत्तर  लिखा जाई 
वीर कहेन फत्ते से - चलो परेमपत्तर  लिखा जाई 
ईर लिखे एक ठो 
वीर लिखे दू ठो 
फत्ते लिखे पूरी रमयनी। 

ईर कहेन वीर से - चलो परेमपत्तर दिया जाई 
वीर कहेन फत्ते से - चलो परेमपत्तर दिया जाई 
ईर दिएन अपनी वाली को 
वीर भी दिएन अपनी वाली को 
फत्ते की कोई थी ही नहीं! 
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8 टिप्पणियाँ:

Abhishek Ojha ने कहा…

भैया ये तो सीरियस हो गया :)
किसी की बदहाली का मजाक हो गया.

Ashish Shrivastava ने कहा…

ये फत्ते के साथ् अन्याय है !

वाणी गीत ने कहा…

भेरी बैड ...:):)

Smart Indian ने कहा…

... फत्ते पुट दिहिन ब्लॉग पर!

Rohit Singh ने कहा…

मन्ने लागा फत्ते दि दिहिन इर अते वीरे दी परेमिका कू

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

achhi kahani bani par the end dard bhara.. :)

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

do sher खस्ता शेर - खुदा खैर blog ko samarpit..( net se )

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एक शेर सुनाती हूँ बड़े ध्यान से सुनो
मुझे शेर नहीं आता किसी और से सुनो ||..:))) .
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वो शेर सुनाने लगे तो मै जाग गया॥
शेर इतना खतरनाक था कि मै भाग गया॥:)
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.good wishes

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

राव साहब,
वो उपन्यास कब पूरा होगा, प्रेम पत्र वाला?
इस पोस्ट से वैसे कोई संबंध नहीं है इस सवाल का, कहीं समझो कि...।

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