अगर आपको दरकार है आला दर्ज़े की शायरी की तो चलते फिरते नज़र आइये क्योंकि उस किताबी शायरी की दुकान तो हमने बढा दी है (वरना बाकी शायर भूखे मर जाते न भई!)
हाँ अगर हल्की फुल्की चल्ताऊ, ऑटो रिक्शा छाप शायरी सुनने की इच्छा है, तो बिल्कुल सही ठिये पर आये हैं आप।
शायरी सुनाऊंगा ऐसी धांसू ।
कि सुनके आ जायेंगे आंसू॥
और हाँ, एक बात समझ लें आप, पहले से बताये दे रहा हूँ, कहीं बाद में शिकवा शिकायत कन्ने बैठ जायें, हाँ नईं तो! हियाँ कोई जोक-वोक नहीं सुनाया जायेगा, अलबत्ता चरपरे चुटकुलों की बात अगल्ल है, वो चलेंगे, अरे दौडेंगे भई दौडेंगे।
अगर आपको भी ऑटो रिक्शा में बिला मीटर ठगे जाते वखत कोई धांसू शेर पढने का मौका मिलता है तो हमारे साथ ज़रूर बांटिये।
तो तैयार हो जाइये कफन बांध के कि हम आज की मजलिस की शम्मा का आगाज़ करते हैं:
हम थे जिनके सहारे...
हम थे जिनके सहारे...
हमारे खोम्चे में सभी कुछ है - खस्ता शेर, कागज़ी गोलगप्पे, और किताबी पानीपूरी
अरे अब नीचे इसकिरोल भी करो न, आगे का कलाम सुन्ना नईं है क्या?
हम थे जिनके सहारे
उन्ने जूते उतारे...
और सर पे दे मारे
क्या करें हम बिचारे
हम थे जिनके सहारे...
दर्द किससे कहें हम
दर्द कैसे सहें हम
दर्द में क्यों रहें हम
दर्द से कौन उबारे...
हम थे जिनके सहारे...
उन्ने जूते उतारे...
और सर पे दे मारे
क्या करें हम बिचारे
हम थे जिनके सहारे...
अगली कडी तक के लिये खुदा हाफिज़! फिर मिलेंगे, गुड बाय, टाटा, हॉर्न प्लीज़!
[चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photo by Anurag Sharma]
12 टिप्पणियाँ:
अमा मियां यह तो बेईमानी है
जब तक हम सोच पाते
और अपनी दुकान लगा पाते
तब तक आपने अपना टेंट गाड दिया
हमारे मोहल्ले में अपना ढाबा सजा दिया
एनीवे हमारी दुआएं आपके साथ हैं
और साझे की इस दुकान में हम आपके साथ हैं
तारीफें मिली तो झोली फैला देंगें
पत्थर मिले तो आपकी तरफ अंगुली उठा देंगें।
अतुल जी,
वाह जनाब वाह! आपकी पहली टिप्पणी ने आपकी खूबी ज़ाहिर कर दी है। हम तो जी आपके मुरीद हो गये इब। आप भी अगर इस तम्बू में कुछ भित्तिलेख लिखें तो इनायत होगी।
स्वागत है! खुशामदीद!
लो जी हम आ तो गए हैं
पर इसटेन्डर्ड बनाने में
और इस नए कलेवर में आने में
थोडे टाइम की दरकार है
कंपेटिबल होने तक एक कविता पेश है
अगले पन्ने पर गौर फरमाएं
शुक्रिया भाईजान!
होशियार हिंदुस्तानी जी !
ग़ज़ब चीज़ निकाल कर लाए इस बार तो !
वाकई आपकी शायरी ने तो हमारे पड़ौसियों के भी आंसू निकाल दिए …
अगली पोस्ट जल्द लगाएं , पड़ौसियों को पढ़ानी है
ब्लॉगजगत में आप पहले ही ठाठ बाट से बिराजमान हैं ।
… एक बार फिर ताज़ा स्वागत है …
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह......जनाब आपकी पानीपूरी हमें पसंद आयी...बर्गर की प्रतीक्षा है|
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
आपका हार्दिक आभार! इस ठिये पर नियमित रहने का प्रयास करेंगे।
राणा जी,
जब पूरी आ ही गयी है तो अधूरी में क्या देर है। बर्गर इच्छा पूरी करने के लिये जल्दी ही आ रहा है डिजिटल पिट्सबर्गर!
बहुत अच्छी...
नमस्कार इंडियन जी
आपका एक और खूबसूरत ब्लाग देखकर बडी खुशी हुई
।
शायरी सुनाऊंगा ऐसी धांसू ।
कि सुनके आ जायेंगे आंसू॥
सचमुच हँसते हँसते आँखों में आंसूं आ गए!!! :-))))
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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