कटे किनारे कई भँवर मझधार मिले।
पानी में सब डूबते भँइसवार मिले॥ (गिरिजेश राव)
घर तो छूटा ही बस्ती भी छूट गई,
लवमैरिज में ऐसे रिश्तेदार मिले। (अनुराग शर्मा)
बना स्कीम भागा कन्हैया फाँसी से,
खुदकुशी पोस्टपोन बाहर इनार मिले। (गिरिजेश राव)
रहम की मांग रहा था भीख जिनसे वो,
हाकिम सभी जालिम व अनुदार मिले। (अनुराग शर्मा)
चलता रहा आँख मीचे ऊँट क्षितिज तक,
साँझ खोली पहाड़ों के अन्हार मिले। (गिरिजेश राव)
पानी में सब डूबते भँइसवार मिले॥ (गिरिजेश राव)
घर तो छूटा ही बस्ती भी छूट गई,
लवमैरिज में ऐसे रिश्तेदार मिले। (अनुराग शर्मा)
बना स्कीम भागा कन्हैया फाँसी से,
खुदकुशी पोस्टपोन बाहर इनार मिले। (गिरिजेश राव)
रहम की मांग रहा था भीख जिनसे वो,
हाकिम सभी जालिम व अनुदार मिले। (अनुराग शर्मा)
चलता रहा आँख मीचे ऊँट क्षितिज तक,
साँझ खोली पहाड़ों के अन्हार मिले। (गिरिजेश राव)
1 टिप्पणियाँ:
क्या बात क्या बात ... अच्छे हैं ...
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