(अनुराग शर्मा)
जिसकी जैसी खाज भैया
वैसा करो इलाज भैया
बत्तीस रुपै गरीबी के हैं
उन्नत हुआ समाज भैया
सच्ची बात से कन्नी काटैं,
सच करता नाराज भैया[1]
कौन कहे आजाद हुए हम
खतम हो गया "राज" भैया?[2]
रज़िया फ़ंस गयी गुन्डों में
मूल बचा न ब्याज भैया
दुश्शासन से आस लगाई
कैसे बचती लाज भैय्या
शूर्पणखा के शासन में तौ
आय चुका रामराज भैया
गुरुवार, 22 सितंबर 2011
कलियुग का सत्य
लेबल:
नानृतम,
निराशा,
भारत,
वर्तमान,
व्यंग्य,
सत्यमेव जयते,
Anurag Sharma
शनिवार, 17 सितंबर 2011
काका हाथरसी के जन्मदिन व पुण्यतिथि पर विशेष
प्रभुलाल गर्ग "काका हाथरसी" |
(18 सितंबर 1906 :: 18 सितंबर 1995)
जीवन के संघर्षों के बीच हास्य की फुलझड़ियाँ जलाने वाले काका ने 1932 में हाथरस में संगीत की उन्नति के लिये गर्ग ऐंड कम्पनी की स्थापना की जिसका नाम बाद में संगीत कार्यालय हाथरस हुआ। भारतीय संगीत के सन्दर्भ में विभिन्न भाषा और लिपि में किये गये कार्यों को उन्होंने जतन से इकट्ठा करके प्रकाशित किया। उनकी लिखी पुस्तकें संगीत विद्यालयों में पाठ्य-पुस्तकों के रूप में प्रयुक्त हुईं। 1935 से संगीत कार्यालय ने मासिक पत्रिका "संगीत" का प्रकाशन भी आरम्भ किया जो कि अब तक अनवरत चल रहा है। उन्होंने हास्य कवियों के लिये काका हाथरसी पुरस्कार और संगीत के क्षेत्र में काका हाथरसी संगीत सम्मान भी आरम्भ किये।
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा
हम भेड़-बकरी इसके यह ग्वारिया हमारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा
सत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही है
हड़ताल क्यों है इसकी पड़ताल हो रही है
लेकर के कर्ज़ खाओ यह फर्ज़ है तुम्हारा
सारे जहाँ से अच्छा .......
चोरों व घूसखोरों पर नोट बरसते हैं
ईमान के मुसाफिर राशन को तरशते हैं
वोटर से वोट लेकर वे कर गए किनारा
सारे जहाँ से अच्छा ...
जब अंतरात्मा का मिलता है हुक्म काका
तब राष्ट्रीय पूँजी पर वे डालते हैं डाका
इनकम बहुत ही कम है होता नहीं गुज़ारा
सारे जहाँ से अच्छा ...
हिन्दी के भक्त हैं हम, जनता को यह जताते
लेकिन सुपुत्र अपना कांवेंट में पढ़ाते
बन जाएगा कलक्टर देगा हमें सहारा
सारे जहाँ से अच्छा ...
फ़िल्मों पे फिदा लड़के, फैशन पे फिदा लड़की
मज़बूर मम्मी-पापा, पॉकिट में भारी कड़की
बॉबी को देखा जबसे बाबू हुए अवारा
सारे जहाँ से अच्छा ...
जेवर उड़ा के बेटा, मुम्बई को भागता है
ज़ीरो है किंतु खुद को हीरो से नापता है
स्टूडियो में घुसने पर गोरखा ने मारा
सारे जहाँ से अच्छा ...
[काका तरंग से साभार]
========================================
सम्बन्धित कड़ियाँ
========================================
* प्यार किया तो मरना क्या (ऑडिओ)
* काका हाथरसी का जन्मदिन और पुण्यतिथि (18 सितम्बर)
* काका हाथरसी की हास्य कविता
सदस्यता लें
संदेश (Atom)