खाने की बात है वही जायका हो जाये
पान की तमीज थूकना शहर का हो जाये।
जुकाम है संगीन उनकी नाक आबदार है
पोंछ कर मिलाना हाथ कहर सा हो जाये।
आती है नफासत मूली के पराठों के बाद
देख आसपास उठा जरा जहर सा हो जाये।
इस अंजुमन सारे लीदर लीडर बने बैठे हैं
करें ढंग से तो इंसाँ सुलभ का हो जाये।
छोड़िये यह इधर उधर का गिला हुजूर
पते की बात है बस कोई घर का हो जाये।