- उस्ताद चक्कू रामपुरी 'अहिंसक'
काश चश्मा तुम्हारा हिल जाये
और ये आँख हम से मिल जाये
प्यार में है बहुत कुछ कहने को
पास आने पे मुख क्यों सिल जाये
एक पल की सौगात है लेकिन
उम्र भर को हमारा दिल जाये
इक नज़र जो पड़े मुहब्बत से
दिल हमारा पल में खिल जाये
दिल नहीं खोलते किसी से अब
घाव फिर से कहीं न छिल जाये
दिल नहीं खोलते किसी से अब
घाव फिर से कहीं न छिल जाये