गुरुवार, 24 मई 2012

टांग चबाते रहिये

(चित्र व दोहे: अनुराग शर्मा)


जापान से स्वर्णजटित मिष्ठान्न
अंटी में नामा भरा अपनी सुनाते रहिये
माल जो मुफ्त मिले जम के उड़ाते रहिये

नज़्र चूके औ वो सामने पड़ जायें तौ
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिये*

हूट करता हो जहाँ, बोर न समझें खुद को
टोके जग सारा तो भी अपनी बताते रहिये

जो कही खूब कही अब तो निकल ले शायर
रात भर शेर सुने सामयीन सताते रहिये

रूप गुण काम नहीं आते हैं इस दुनिया में
सौदागर फूस के हैं स्वर्ण छिपाते रहिये
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* एक प्रसिद्ध शायर की शब्दावली से साभार