(चित्र व दोहे: अनुराग शर्मा)
बे बाँटैं तौ रेवड़ी, हम कर दें तौ खून
बे तौ मालामाल हैं, हम तरसैं दो जून
आइस पाइस टीप के, बने टिप्पणी वीर
दाने पाँच न बो सकैं, फिर भी खाबैं खीर
छुरी बगल मैं दाब के, झूठा कर गुनगान
ईटा सर पे मारता, मुख पर है मुस्कान
सच्चा सेवक बन रहा, रहा झूठ की खान
रेवड़ी बोतल बाँट के, बन जइहै परधान
भालो उसको देख कै, सरक लये हैं लोग
भोले पर जा बरसते, है कैसो जा संजोग
बिल्ली उसको जानिये, मन में जो मुस्काय
छिप-छिप पंजा मार के, माल मलाई खाय
ऊँचा भया तौ का भया, ज्यूँ टावर मोबाइल
सिगनल इतना वीक है, कछहुँ नहीं सुनाइल
तुकमारिया खायें, खस्ता शेर बनायें, पुरस्कार पायें |
बे तौ मालामाल हैं, हम तरसैं दो जून
आइस पाइस टीप के, बने टिप्पणी वीर
दाने पाँच न बो सकैं, फिर भी खाबैं खीर
छुरी बगल मैं दाब के, झूठा कर गुनगान
ईटा सर पे मारता, मुख पर है मुस्कान
सच्चा सेवक बन रहा, रहा झूठ की खान
रेवड़ी बोतल बाँट के, बन जइहै परधान
भालो उसको देख कै, सरक लये हैं लोग
भोले पर जा बरसते, है कैसो जा संजोग
बिल्ली उसको जानिये, मन में जो मुस्काय
छिप-छिप पंजा मार के, माल मलाई खाय
ऊँचा भया तौ का भया, ज्यूँ टावर मोबाइल
सिगनल इतना वीक है, कछहुँ नहीं सुनाइल
25 टिप्पणियाँ:
टिप रहे सकुचाय के टिपमारिया उस्ताद
छ्टवाँ दोहा पढि़ के रहे न बिन दिये दाद...:-))
खस्ता शेर सुना दिए ,बड़े दिनों के बाद,
अब नीके दिन आइहैं,लेकर 'उनको' साथ!
☺☺☺
पुरूस्कार आवत देख कर
ब्लोगर करे पुकार
अच्छे अच्छे चुन लिये
कल हमारी बार
ब्लॉग खोजने मै चला
ब्लोग्गर ना मिल्या क़ोई
जो ब्लॉग खोजा आपना
मुझ से अच्छा ना क़ोई
रेवड़ी बोतल बाँट के, बन जइहै परधान...ऐसे ही आजकल परधान बना जाता है महाराज....और भी कोई तरीका है क्या..??
वाह वाह
हर शेर दाद मांग रहा है...
और रचना जी की टीप भी सेर पर सवा सेर वाली.
:):) बहुत बढ़िया
:) :) :) vaah - vah vaah, :)
शेर माँगते दाद हैं ,बुद्धि माँगती खाद,
दौड़ मची है हर तरफ़ ,अपना कहां निभाव !
bahut khub !
बहुत खूब !
छुरी बगल मैं दाब के, झूठा कर गुनगान
ईटा सर पे मारता, मुख पर है मुस्कान
वाह
खस्ता शेर ... मस्त शेर ...
मज़ा आ गया ...
आधुनिक भाव बोध प्रबोधन और व्यंग्य विनोद उद्बोधन के दोहे .
दोहे सब कुछ दूहते, खस्ता करते हाल.....:)))
बहुत मज़ेदार !
सादर
ओमपुरिया फोर्मूला अपनाईये :)
गज़ब!
वाह, वाह. आखिरी वाला बहुत जमा.
घुघूतीबासूती
waah......
छुरी बगल मैं दाब के, झूठा कर गुनगान
ईटा सर पे मारता, मुख पर है मुस्कान
सच्चा सेवक बन रहा, रहा झूठ की खान
रेवड़ी बोतल बाँट के, बन जइहै परधान
बिल्ली उसको जानिये, मन में जो मुस्काय
छिप-छिप पंजा मार के, माल मलाई खाय
हर एक दोहा लाजवाब।
बहुत बढ़िया................
:-)
लाजवाब दोहे...
जाने कैसे इस ब्लॉग पर पहले आना नहीं हुआ...
सादर
अनु
यह खस्ता शेर तो नहीं अनुराग भाई ....
राजीव तनेजा की शायरी पर उनको भेंट किया गया एक खस्ता शेर आपको पेश कर रहा हूँ ...
शेर मारू बड़े लिखने लगे हो,संभल के रहना
मोहल्ले में टमाटर की जमाखोरी के चर्चे है !
तीक्ष्ण व्यंग्य...प्रत्येक काल के सापेक्ष है जैसे!
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!