अर्ज किया है:
अपने खतूत में यूँ इश्क की बात न कर महबूब
तुम रेगिस्तान में हो, मुझे चाँदनी में लू लगती है।
मर्ज-ए-अर्ज का नुस्खा है:
थोड़ी देर और बैठा करो 'लू' में महबूब
डब्बे का पानी सिर पर भी पड़े तो काम बने।
अराउंड ए लू शेर को ऐसे घुमा गया शायर
चान्दनी औ' पानी दोनों बरसा गये फायर
6 टिप्पणियाँ:
लू के भी अलग अलग अर्थ निकाल दिये,
वाकई बहुत खस्ता है, शेर की बात कर रहा हूं:)
जिया र्रज्जा ....एकदम लूहानी रचना :)
ऑनकोर, वंसमोर, एक शेर और:
अराउंड ए लू शेर को ऐसे घुमा गया शायर
चान्दनी औ' पानी दोनों बरसा गये फायर॥
वाह! वाह!! इसे भी मूल पोस्ट में जोड़ दीजिए। एक्सपर्ट कमेंट की तर्ज पर।
चंगा जी। Done!
पनाह मॉंग रही है लू रेगिस्तानों में,
जब से सुना है, आप फिकर करते हैं।
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!