शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

लू

अर्ज किया है:


अपने खतूत में यूँ इश्क की बात न कर महबूब 
तुम रेगिस्तान में हो, मुझे चाँदनी में लू लगती है।


मर्ज-ए-अर्ज का नुस्खा है: 


थोड़ी देर और बैठा करो 'लू' में महबूब 
डब्बे का पानी सिर पर भी पड़े तो काम बने।  




अराउंड ए लू शेर को ऐसे घुमा गया शायर
चान्दनी औ' पानी दोनों बरसा गये फायर

6 टिप्पणियाँ:

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

लू के भी अलग अलग अर्थ निकाल दिये,
वाकई बहुत खस्ता है, शेर की बात कर रहा हूं:)

सतीश पंचम ने कहा…

जिया र्रज्जा ....एकदम लूहानी रचना :)

Smart Indian ने कहा…

ऑनकोर, वंसमोर, एक शेर और:
अराउंड ए लू शेर को ऐसे घुमा गया शायर
चान्दनी औ' पानी दोनों बरसा गये फायर॥

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

वाह! वाह!! इसे भी मूल पोस्ट में जोड़ दीजिए। एक्सपर्ट कमेंट की तर्ज पर।

Smart Indian ने कहा…

चंगा जी। Done!

विष्णु बैरागी ने कहा…

पनाह मॉंग रही है लू रेगिस्‍तानों में,
जब से सुना है, आप फिकर करते हैं।

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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!