घूमते हैं लय के पहिये, मजबूत है तुक की धुरी
धुल गए सुर्मा बरेलवी, चलते हैं चक्कू रामपुरी
बात कितनी भी खरी हो धार ही बस खास है
कट्टे दुनाली किसे चहिए रामपुरी जो पास है
जिस तरें उस्तरे से हजामत है
चक्कू रामपुरी से, क़यामत है
धुल गए सुर्मा बरेलवी, चलते हैं चक्कू रामपुरी
बात कितनी भी खरी हो धार ही बस खास है
कट्टे दुनाली किसे चहिए रामपुरी जो पास है
जिस तरें उस्तरे से हजामत है
चक्कू रामपुरी से, क़यामत है
ओखल में सर देते हैं और मूसल देख के हँसते हैं
ऐसे तुर्रमखाँ भी चक्कू रामपुरी को देखके डरते हैं
~ चक्कू रामपुरी "अहिंसक"
2 टिप्पणियाँ:
बात ही अलग है चक्कु रामपुरी की
ज़लज़ला ... 😝
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