शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

यूँ भी तो हो - एक इच्छा - एक कविता

काजू सड़ते शराब हो जाते
गदहे सज के नवाब हो जाते

पानी खेतों में पड़ गया होता
गेंहूँ खिल के गुलाब हो जाते

हमें साफा व सूट फिट आता
खुद ही कटके कबाब हो जाते

इश्क़ में सर नहीं गंवाते हम
तेरे दिल की किताब हो जाते

ढूंढते आप पर न मिलता मैं
पल में सारे हिसाब हो जाते

.-=<>=-.

15 टिप्पणियाँ:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

लाज़वाब ग़ज़ल... कहाँ मिल पता है खेतों को पानी...

मनोज कुमार ने कहा…

वाह-वाह!
लाजवाब!!

Neeraj ने कहा…

बहुत दिन से इधर उधर मुंह चलाते हैं,
तुम्हारे शेर पढ़ के लाजवाब हो जाते |

Udan Tashtari ने कहा…

हमें साफा व सूट मिल जाता
खुद ही कटके कबाब हो जाते

-हाय!! आओ पहना दें साफा और सूट दोनों!!!

Rakesh Kumar ने कहा…

आपकी तरह सुन्दर यदि हम भी लिख पाते
तो हम भी इंडियन 'स्मार्ट' हो जाते
साफा और सूट पहन कर जनाब
सभी पर बिजिलियाँ आप गिराते
आप कबाब बनते न बनते
हमें तो जी, बेजबाब करा जाते.
ले लेते यदि रामपुरिया हाथो में,
तो सभी की बोलती ही बंद कर जाते

आपके साफे ने मुझे तो बेजबाब कर दिया है जी.

Smart Indian ने कहा…

आभार!

Deepak Saini ने कहा…

बहुत खूब

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी गज़ल

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शेर तो शेर अनुराग जी .... बहुत जम रहे हैं .... भाई कोई भी कुर्बान हो जाएगा इस अदा पर ....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

“गेंहू खिलकर गुलाब हो जाते....”
वाह... खूबसूरत गज़ल....

Smart Indian ने कहा…

शुक्रिया!

seema gupta ने कहा…

इश्क़ में सर नहीं गंवाते हम
तेरे दिल की किताब हो जाते
" ha ha ha ha bhut khub...kya andaaj hai..."
regards

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

नींद की गोलियां खत्म हो लीं,
नहीं तो अब तक सो जाते।

raviratlami ने कहा…

वाह!

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत अच्छी गज़ल|धन्यवाद|

एक टिप्पणी भेजें

आते जाओ, मुस्कराते जाओ!