जोर जोर से पीटो भाया, दागी हमरी पीठ
देख तमाशा जूते खायें, जबरी हमरी दीठ।
लोटा हमरा बौत पवित्तर, मैली रहती जींस
सड़क किनारे निपटें हरदम, हम हैं बड़के ढीठ।
घर में बसते देव सभत्तर, आँगन में हैं पीर
सड़क किनारे कूड़ा फेंकें, पूजा हमसे सीख।
बाइक बैठें बीड़ी फूँकें, चौराहे के मीत
पप्पा कहते करिअर महँगा, गुटका सस्ती पीक।
देख तमाशा जूते खायें, जबरी हमरी दीठ।
लोटा हमरा बौत पवित्तर, मैली रहती जींस
सड़क किनारे निपटें हरदम, हम हैं बड़के ढीठ।
घर में बसते देव सभत्तर, आँगन में हैं पीर
सड़क किनारे कूड़ा फेंकें, पूजा हमसे सीख।
बाइक बैठें बीड़ी फूँकें, चौराहे के मीत
पप्पा कहते करिअर महँगा, गुटका सस्ती पीक।
8 टिप्पणियाँ:
mazedar....bahut achchha laga padhkar
असलियत का चित्रण है फिर भी चचा की बात याद आ गयी:
हरेक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्हीं कहो के यह अन्दाज़े-गुफ्तगू क्या है?
Wah Wah!!
Khas taur se Yeh:
घर में बसते देव सभत्तर, आँगन में हैं पीर
सड़क किनारे कूड़ा फेंकें, पूजा हमसे सीख।
चचा की रूह काबिज हो गई दीखे है जो बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल हो रिया है आपके आगे।
ग़ज़ब है ग़ज़ब.
16-11 atraye mtlb.......mst h
mast hai bhayi mast .khasta aur must bhee !
बात करन में हम हैं आगे , काज करन में पीछे |
दुकान ऊंची होत है हमरी , पकवान होवें फीके |
नेता कसम खाय मिट्टी की , मिट्टी देश पे फेरें
राष्ट्र नाम पे मिट्टी मलते , अपनी मिट्टी बेचें |
आँख में नहीं पानी इनकी , देश है पानी पानी ,
स्विस खातों में चमके पानी, जनता भरती पानी |
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!