खाने की बात है वही जायका हो जाये
पान की तमीज थूकना शहर का हो जाये।
जुकाम है संगीन उनकी नाक आबदार है
पोंछ कर मिलाना हाथ कहर सा हो जाये।
आती है नफासत मूली के पराठों के बाद
देख आसपास उठा जरा जहर सा हो जाये।
इस अंजुमन सारे लीदर लीडर बने बैठे हैं
करें ढंग से तो इंसाँ सुलभ का हो जाये।
छोड़िये यह इधर उधर का गिला हुजूर
पते की बात है बस कोई घर का हो जाये।
6 टिप्पणियाँ:
बेहद उम्दा |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वाह ...बेहतरीन
bahut khoob
HA HA HA
SUPERB SUPERB SUPERB SUPERB
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
पते की बात है बस कोई घर का हो जाये।
सारी बातों का मर्म यही है
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!