कुछ गाने को दिल करता है, सुना लूँ?
तालियाँ बजाओगे या रामपुरी निकालूँ?
दिल के बहाने कहीं ले न उडें चुप के
ज़रा सा रुक जाओ, बटुआ छिपा लूँ
जिनकी होनी थी उन सबकी हो ली
मस्ती में मैं भी तो रंग में नहा लूँ
लाज की लाली से लाल हो रहे हैं जो
उन गालों से थोडा सा रंग चुरा लूँ?
बुरा न मानो होली है!
[चित्र एवम् पंक्तियाँ: अनुराग शर्मा]
इस खस्ता शायरी का होली के हुल्लड वाला स्वरूप ताऊ रामपुरिया के गरही सम्मेलन में सुना जा सकता है।
इस खस्ता शायरी का होली के हुल्लड वाला स्वरूप ताऊ रामपुरिया के गरही सम्मेलन में सुना जा सकता है।
3 टिप्पणियाँ:
होली है !!!
वाह वाह क्या बात है
रामपुरी निकालने की जरूरत नही है, हम तालिया बजा रहे है
होली की शुभकामनाये
काहे डराते हैं भैया, बजा रहे हैं तालियँ।
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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!