मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

निकला होगा चान्द ...

डॉ. राही मासूम रज़ा से क्षमा याचना सहित, आपकी खिदमत में अर्ज़ किया है:


हम सोबर* परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

हिन्दी कैद में बैठी रोवे, टूटे अंग्रेज़ी की टांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

नेता मंच सजाकर बैठे, करते नूतन स्वांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

रिश्वत बाबू धरना देते, पूरी कर दो मांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

सत्यमेव जी दाब दिये हैं धर मिट्टी की ढांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

मुर्गे कट के छिले तल गये, उल्लू देते बांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

-=<*>=-
*सोबर = टुन्नात्मकता का व्युत्क्रमानुपाती
-=<*>=-

11 टिप्पणियाँ:

Satish Saxena ने कहा…

क्या सही मरम्मत की है ......राही मासूम रज़ा भी क्या याद रखेंगे :-)

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

उल्लू जगते रात, क्या देंगे सुबह बाग?
भाँग घुटाई घुटन है,प्लेट का मुर्गा दाब।

Deepak Saini ने कहा…

वाह वाह क्या बात हैं

rashmi ravija ने कहा…

:) बढ़िया है

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

शुकर है कि रज़ा साहब आज नहीं हैं

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

घुट रही है जी भांग, आप कब आओगे? हो ओ ओ

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुतै बढिया।

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छुई-मुई सी नाज़ुक...
कुँवर बच्‍चों के बचपन को बचालो।

अबयज़ ख़ान ने कहा…

ये तो सचमुच रोता आवे, हंसता जावे जैसी बात हो गई.. नए साल की शुभकामनाएं..

अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Roy ने कहा…

ब्लॉग पर अभिव्यक्ति निरंकुश ही नहीं अपितु निडर भी है. विदेश में रहते हुए आपका हिंदी अनुराग देखते ही बनता है. अगर देखा जाए तो पता चलेगा कि हिंदी की दुर्दशा देश में रहने वाले नेताओं के कारण ही हुई है. चाहे प्रधानमंत्री हो, या राष्ट्रपति ...मंत्री हों या कोई संतरी ..सब को अंग्रेजी के नाग ने मानो डस लिया है. अपनी भाषा को जानते हुए भी हिंदी बोलना नहीं चाहते. इन सबको हम क्या समझ दे सकते हैं क्योंकि ऐसा करना उस इत्र बेचने वाले की तरह होगा जो ऐसे लोगों को इत्र बेच रहा था जिन्हें यह नहीं मालूम कि इत्र सूंघने के लिए है न कि चखने के लिए. कहा भी है "करि फुलेल को आचमन मीठा कहत सराहि...रे गन्धी मति अंध तू अतर दिखावत काहि." जिन लोगों को हिंदी के सम्मान और गौरव का कोई अनुभव नहीं हो उन्हें कुछ कहना तो भैंस के आगे बीन बजाने जैसा ही है.

Jyoti ने कहा…

नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

शिवम् मिश्रा ने कहा…

भाई साहब ... इस ने तो टुन्न कर दिया ... अब ताज़ा स्टॉक कब आ रहा है ?

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