ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥
(श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 11)
भावार्थ: जो मुझे जिस प्रकार भजते हैं, मैं भी उनको उसी प्रकार भजता हूँ; क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्गका अनुसरण करते हैं ।
दो फुटकर खस्ता शेर मरम्मत के इंतज़ार में बैठे हैं। हर मुनासिब पेशकश कुबूल की जाएगी. अर्ज़ किया है:
कैसे कहूँ खुदा नहीं करता है मुझको याद
हर पंगा मेरे साथ ही लेता रहा है वह
कैसे कहूँ खुदा नहीं करता है मुझको मात
हर बाज़ी मेरे साथ ही क्यूँ खेला करे है वो
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥
(श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 11)
भावार्थ: जो मुझे जिस प्रकार भजते हैं, मैं भी उनको उसी प्रकार भजता हूँ; क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्गका अनुसरण करते हैं ।
दो फुटकर खस्ता शेर मरम्मत के इंतज़ार में बैठे हैं। हर मुनासिब पेशकश कुबूल की जाएगी. अर्ज़ किया है:
कैसे कहूँ खुदा नहीं करता है मुझको याद
हर पंगा मेरे साथ ही लेता रहा है वह
कैसे कहूँ खुदा नहीं करता है मुझको मात
हर बाज़ी मेरे साथ ही क्यूँ खेला करे है वो
7 टिप्पणियाँ:
कविता के पाठ में खुदा रहता है आसपास
अंडे कहाँ से, आये थे, इतने सड़े हुए !
कैसे कहूँ खुदा नहीं देता है, मुझको मात !
इक शेर सुन के सब ने निशाने लगाये थे !
हे भगवान!
:):)
बाज़ी दर बाज़ी खेलता रहा खुदा
हम समझते रहे कि
बिसात हमने बिछाई है ।
बहुत खूब!!
लाजवाब हैं.
रामराम.
कैसे कहूँ खुदा नहीं करता है मुझको याद
हर पंगा मेरे साथ ही लेता रहा है वह ..
वाह क्या बात ... खुदा से पंगा ... खुदा खैर करे ...
kya baat bahut badhiya hai ..
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